शाहगंज थाने के नरीपुरा में बेशकीमती विवादित भूखंड पर स्वामित्व का विवाद बुधवार को फिर गरमा गया। एक पक्ष 62 साल पुरानी सार्वजनिक धर्मशाला होने का साक्ष्य दे रहा है। दूसरा पक्ष उसे निजी संपति होने का दावा करने में जुटा है। दोनों पक्ष ने घण्टेभर तक जमकर नारेबाजी की। एक–दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्ष को समझाकर शांत कर किया।
नरीपुरा में जगनेर मार्ग के किनारे 300 वर्ग गज से अधिक का भूखंड है। इसमें एक बरामदा और एक ही कमरा बना हुआ है। बाहर प्रांगण में पीपल और जामुन का पेड़ लगा है। हनुमान जी, कैला देवी, शेरा वाली, शिव परिवार की मूर्ति विराजमान हैं।
एक पक्का कुआं भी है। उसमें बीजक लगे हैं। क्षेत्रीय लोगों ने कुएं को अनहोनी की आशंका पर पाट दिया गया है। पंचम सिंह कुशवाहा, वेदप्रकाश कुशवाहा, सुनील कुमार चक, प्रताप सिंह कुशवाहा ने बताया कि यह सार्वजनिक धर्मशाला है।
इसमें 1962 से पूजा पाठ चल रहा है। विरोधी उसे कब्जाने का षडयंत्र रच रहे हैं। वहीं, दूसरा पक्ष धर्मेंद्र सागर उसे निजी संपति होने का दावा कर रहे हैं। वे दोनों पक्ष करीब 1 बजे आमने–सामने आ गए। उन्होंने एक दूसरे के खिलाफ जमकर नारे लगाए। उनके टकराव की सूचना पर एसीपी लोहामंडी मयंक तिवारी पुलिस बल के साथ पहुंच गए।
उन्होंने हंगामा करने वाले लोगों को हड़काकर शांत कर दिया। इसके बाद दोनों पक्ष के लोगों को समझाया। इसके बाद दोनों पक्ष को विवादित स्थल से हटवा दिया।